Monday Motivation – किसी भाई ने मुझे कमेंट कर पूछा था कि – अगर भगवान की इच्छा बगैर अगर एक पत्ता भी नहीं हिलता तो फिर अच्छे लोगों के साथ बुरा क्यों होता है? क्या भगवान अच्छे लोगों को हमेशा सजा देता है? तो आज इस Monday Motivation पोस्ट में हम बात करेंगे कि अच्छे लोगों के साथ बुरा क्यों होता है?
अच्छे लोगों की परिभाषा क्या है? Monday Inspiration
पहले तो इस बात को जानेंगे कि अच्छे लोगों की परिभाषा क्या है? एक बूढ़ा व्यक्ति भी अपने आप को सही साबित करता है, क्योंकि उसकी नजर में वह सही है। भले उसने अपनी जिंदगी में जितने भी गलत काम किए हो, पर वह आज सही है तो अपने आप को दूध का धुला हुआ मानेगा।
जैसा कि हम सब जानते हैं कि हम जो भी एक्शन लेते हैं उसका रिएक्शन जरूर आता है जैसे आप किसी खड़े व्यक्ति को जोर से मुक्का मार देंगे तो वह क्या करेगा? वह भी रिएक्शन में आपको हानि पहुंचाने के लिए आपको मारेगा और अगर आप किसी गरीब व्यक्ति को पैसे देते हैं तो वह बदले में दुआएं देता है।
सबसे बेसिक रूल है कि आप प्रकृति (दुनिया) को जो दोगे प्रकृति (दुनिया) आपको वही लौटाएगी। अगर आपने किसी को धोखा दिया है, तो बदले में आपको धोखा मिलेगा। अगर आपने किसी को हानि पहुंचाई है तो बदले में आपको हानि ही मिलेगी। अगर आपने निष्काम भाव से किसी की मदद की है तो आने वाले वक्त में आपका भी कोई मदद कर सकता है।
कभी कभी नुकसान होना भी फायदेमंद होता है, क्योकि उस नुकसान को भरने के लिए आदमी जी जान से मेहनत करता है और पहले से ज्यादा सफल बन जाता है यही जिंदगी की परीक्षा है। क्योकि जब तक सब अच्छा होता रहेगा इंसान बड़ा डिसीजन नहीं ले सकता।
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हमारे दुख का कारण कौन है? Karma Meaning
मनुष्य ऐसा सोचता है कि हमारे दुख का कारण परिवार, समाज, पैसा, गरीबी है अनेक प्रकार के संघर्ष है, लेकिन सत्य अगर पूछा जाए तो इसका जिम्मेदार मनुष्य के अपने कर्म होते हैं। कर्मों के द्वारा ही मनुष्य अपने जीवन के अंदर सुखों को प्राप्त करता है और दुख को प्राप्त करता है।
एक व्यापारी ट्रक में चावल के बोरे लिए जा रहा था। एक बोरा खिसक कर गिर गया। कुछ चीटियां आयीं 10-20 दाने ले गयीं, कुछ चूहे आये 100-50 ग्राम खाये और चले गये, कुछ पक्षी आये थोड़ा खाकर उड़ गये, कुछ गायें आयीं 2-3 किलो खाकर चली गयीं, एक मनुष्य आया और वह पूरा बोरा ही उठा ले गया।
अन्य प्राणी पेट के लिए जीते हैं, लेकिन मनुष्य तृष्णा में जीता है। इसीलिए इसके पास सब कुछ होते हुए भी यह सर्वाधिक दुखी है। आवश्यकता पूरी होने के बाद इच्छा को रोकें, अन्यथा यह अनियंत्रित बढ़ती ही जायेगी, और दुख का कारण बनेगी।
हमारे कर्म कैसे होने चाहिए? Karma Healing
शास्त्र में कहा जाता है कि जो मनुष्य विधिवत कर्म करता है, नियमित कर्म करता है, शास्त्र के अनुसार कर्म करता है वह सदैव सुखी रहता है। जो निश्चित कर्मों को करता है वह अनेक प्रकार के दुखों को प्राप्त करता है अलग प्रकार के कष्टों को झेलता है। मनुष्य स्वयं ही अपने पतन का कारण है और स्वयं ही सफलता का जिम्मेदार है।
गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं कि मनुष्य अपने जीवन में जो कुछ चाहे वह कर सकता है। कर्मों की कुंजी उसके पास है परमात्मा ने उसे कार्य करने की शक्ति दी है, बुद्धि दी है, विवेक दिया है, विचार दिया है। वह जो कुछ चाहे वह सब कुछ करने में समर्थ है।
सदाचार का पालन करें और सब कर्मों को अपने जीवन में अपनाएं, परोपकार करें। परमात्मा केवल हमें हमारे कर्मों का फल देता है। अगर मनुष्य अपने जीवन में शुभ कर्म करता है तो वह परमात्मा से अपने जीवन के अंदर सुंदर सुखों को भोग सकता है।
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हम अपनी किस्मत कैसे बदल सकते है? Inspiring Short Stories on Positive Attitude
एक बार एक स्टूडेंट का एग्जाम आने वाला था। पूरे साल उसने कुछ पढ़ाई नहीं की जब उसके परीक्षा का दिन आया। वह टेबल पर बैठा हुआ था और उसके सामने पेपर को उसने पढ़ा, एक भी प्रश्न उसे नहीं आ रहा था, किसी का उत्तर उसे समझ में नहीं आ रहा था। क्योंकि वर्ष पर वह सिर्फ घूमता और रहता था।
आज अचानक वह सोचने लगा कि मैं कैसे पास हो सकता हूं? उसे कुछ नहीं समझ आ रहा था, अचानक बैठे बैठे हैं उसके अंदर एक विचार आया कि चलो प्रिंसिपल को एक प्रार्थना करते हैं कि अगर वह चाहे तो आज मुझे पास कर सकते हैं उसने एक कॉपी के पहले पत्ते पर एक शायरी लिख दी-
उसने लिखा
किस्मत की कुंजी तेरे हाथ में है,
अगर पास कर दे तो क्या बात है।
लिख करके उसने अपना नाम कॉपी को बंद कर दिया
कॉपी जाचने के लिए गई और जब प्रिंसिपल के सामने पहुंचे तो प्रिंसिपल ने उस शायरी को देखा। आखिर गुरु गुरु है वह भी विद्यार्थी से कमजोर नहीं था। उस शायरी को उसने बड़े ध्यान से पढ़ा उसमें लिखा हुआ था प्रिंसिपल ने उसी के नीचे लिख दिया कि –
किताबों की कुंजी तेरे हाथ थी, अगर याद कर देते तो क्या बात थी,
अगर किस्मत की कुंजी मेरे पास है तो किताबों की कुंजी तेरे हाथ है।
अगर जीवन के अंदर परमात्मा, मनुष्य के कर्मों का फल देता है तो मनुष्य को कार्य करने की शक्ति भी देता है। अगर किस्मत वह बनाता है तो कर्म करने की प्रेरणा भी देता है।
गीता में श्रीकृष्ण ने स्पष्ट रूप से कहते हैं कि फल की इच्छा का त्याग करके अगर तुम शुभ कर्म करते चले जाओगे तो सुख तुम्हें मांगना नहीं पड़ेगा।
हम अपने जीवन में कुछ नहीं कर पा रहे हैं तो इसका कारण हमारी अपनी कमी है। हमारी दिनचर्या है, हम अपने मन के कारण अपनी इंद्रियों के गुलाम होते चले जा रहे हैं, वासनाओं में घिरते जा रहे हैं।
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गलत कर्मो का क्या परिणाम होता है? Motivational Blogs in Hindi
आज मनुष्य अनेक प्रकार के दुखों से घिरा चला जा रहा है। इसलिए हमें ऐसे कर्म करने जो सबके लिए अच्छे हो। गलत कर्मों का फल हमें किसी न किसी जन्म में भुगतना पड़ेगा, चाहे वह कोई भी व्यक्ति हो राजा हो या गरीब।
महाभारत युद्ध के अंदर भीष्म पितामह बाणों की शैया पर पड़े हुए थे वहां श्री कृष्ण उनसे मिलने आए विष्णु ने पूछा कि मैंने जिंदगी में कोई ऐसा काम नहीं किया फिर भी मुझे इतना दर्द और इतना दुख क्यों सहना पड़ रहा है
श्री कृष्ण ने उन्हें याद दिलाते हुए कहा कि जब द्रोपती का चीर हरण हो रहा था तो आप ने उसका बचाव नहीं किया उल्टा नजर चुरा कर बैठे रहे, इसी के कारण आपको इतना दुख भोकना पड़ रहा है।
याद रखें दोस्तों बुरा कर्म करने के साथ ही बुरा देखना और बुरा बोलना भी एक पाप है इसका फल भी आपको बहुत जल्दी मिल जाता है इसलिए हमेशा अच्छे कर्म रहो और खुश रहो।
अब आप पूछेंगे इसमें द्रोपति का क्या कसूर था? उसे क्यों सजा मिली तो याद रखे दोस्तों उसने दुर्योधन का मजाक उड़ाया था के अंधे का पुत्र अंधा किसी को गलत शब्द बोलने पर भी हमें जो सजा मिलती है वह भयंकर होती है।
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मैंने कुछ भी नहीं किया फिर भी मेरे साथ हमेशा गलत क्यों होता है? Depression Motivation
आप में से कुछ लोग सोच रहे होंगे कि मैंने कुछ भी नहीं किया फिर भी मैं ऐसा क्यों हूं। तो आप खुश हो जाइए क्योंकि जिंदगी आपकी कसौटी ले रही है। जिसमें अगर आप खरे उतरते हैं तो आप एक बहुत ही सफल इंसान बनकर उभर सकते हैं।
क्योकि जब पांच पांडव जंगल में घूम घूम कर दुख सहन कर रहे थे तब दुर्योधन आलीशान महल में बैठकर सभी सुख भोग रहा था, तब चाहते तो पांडव कह सकते थे कि हम ने हमेशा धर्म के मार्ग को चुना फिर भी हमें इतना दुख सहन करना पड़ रहा है और दुर्योधन हमेशा बुराई के रास्ते पर चला फिर भी वह सुखी है।
पर हम सब ने देखा कि दुर्योधन के साथ क्या हुआ और अंत में सारा राजपाट पांडवों को मिला। इसलिए बुराई का अंत होता ही है चाहे आप कुछ भी कर ले।
अगर आपके साथ कुछ गलत हो रहा है तो यह मान ले की जो होता है भगवान की मर्जी से होता है उसके पीछे एक अच्छा कारण होता है जब द्वितीय विश्व युद्ध में सभी देश बर्रबाद हो रहे थे तो कई देशों के फायदे भी हुए।
ब्रिटिश राज दुनिया भर में कई देशों पर अपना अधिकार कर चुका था और वहां के लोगों पर अत्याचार कर रहा था। उसे इसकी सजा मिली और युद्ध में वह इतना कंगाल हो गया कि उसे सारे देशों को आजादी देनी पड़ी जिसमें से हमारा देश भारत भी है।
दूसरी ओर ब्रिटेन के कंगाली का फायदा अमेरिका को मिला और उसने सारे बिजनेस उद्योग वहां पर शुरू कर दिया जिससे वह बहुत अमीर हो गया और आज भी पूरे विश्व में सबसे शक्तिशाली देश की गिनती में आता है।
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Conclusion – Monday Motivation
इसलिए अगर आपको कुछ समझ में नहीं आ रहा है तो उस वक्त को किसी भी तरह निकाल दें और आगे बढ़ते रहें। हमेशा याद रखें कि बुरे लोगों कि अपने आप से तुलना ना करें वह जैसा करते हैं जैसा सोचते हैं वैसा उन्हें करने दें।
आप क्या करते हैं वह ज्यादा इंपोर्टेंट है क्योंकि आप बुरा नहीं बन सकते। आपको अच्छे कर्म करके भलाई फैलानी है तब जाकर आपके साथ भी कुछ अच्छा हो सकता है।