Stress Management in Hindi – बढ़ती उम्र के व्यक्ति अक्सर चिंताओं से घिरते चले जाते हैं। स्वभाव में कोमलता और जीवन की मुस्कान उनके पास गायब हो जाती है। बढ़ती जिम्मेदारियों से थक कर सिर्फ नेगेटिव बातों को ही वह सोचने लगते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि वह अपनी जिंदगी से सुख चैन और संतोष को खो देते हैं।
शर्मा जी के जीवन के 5 दशक बीत चुके हैं लेकिन उनका स्वभाव एकदम बच्चों जैसा है। वह हर बात पर हंसते हैं, खुश होते हैं। जिससे वह औरों की नजर में भी खुशनुमा इंसान बन गए हैं।
क्या छोटा, क्या बड़ा, सभी उनसे बात कर खुश हो जाते हैं। इसका राज पूछने पर वह बताते हैं कि “बड़ी आसान सी तरकीब है मुझे जीवन से प्यार है, जीवन कभी भी ख़त्म हो सकता हैं। इसको देखते हुए वह हर पल बड़ी शिद्दत से जीना चाहते हैं।”
“जीवन की कड़वाहट से मुझे नफरत है। आखिर किस लिए लड़ाई, झगड़ा, कलह और मनमुटाव किया जाए? हमें जिंदगी बहुत कम मिली है। जिसका हमें भरपूर उपयोग करना चाहिए।”
जितने भी महापुरुष हैं उनके भी आलोचक और दुश्मन बहुत सारे थे। उन्होंने चाहे जितना भी अच्छा कर लिया हो। पर वह अपने आलोचकों को नहीं मिटा पाए थे। इसका मतलब है हमें अपने लाइफ में हर समय खुश रहना चाहिए और काम करते रहना चाहिए।
बचपन को याद करे –
बचपन में जो खुशी होती है, वह मिलावट रहित सच्ची खुशी होती है। बड़े होने पर लोग क्या कहेंगे अपनी उम्र की तरह ही हमें बर्ताव करना चाहिए,
यह सोचकर हम बालमन के विरुद्ध जाकर जीने की कला भुला देते हैं और अकेलेपन के अंधकार में डूब जाते हैं। मनोवैज्ञानिकों के मतानुसार अपने बाल मन से दोस्ती कर हम अपनी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं।
अपने अन्दर छुपे बच्चे को जगाये –
स्वस्थ मानसिकता के लिए जरूरी है कि बचपन की यादों को जगाया जाए। यह एक सत्य है की व्यक्ति अपने भूतकाल की देन है। बचपन को किसी भी हालत में अलग नहीं किया जा सकता। बस फर्क यह है कि किसी में यह जागा हुआ होता है और किसे मैं सोया हुआ। जो इसे जगाना जानते हैं वह मजे में रहते हैं।
Stress Management in Hindi
एक टीचर अपने विद्यार्थियों को स्ट्रेस मैनेजमेंट के बारे में समझा रहे थे। उन्होंने पानी से भरा गिलास ऊपर उठाया और स्टूडेंट से पूछा “इस पानी भरे गिलास में कितना वजन है?”
विद्यार्थियों ने अलग-अलग वजन बताएं शिक्षक बोले “यह कोई खास बात नहीं है कि इस गिलास का वजन कितना है, यह इस बात पर निर्भर है कि आप इसे कितने समय तक उठा सकते हैं।
यदि मैं इसे 1 मिनट तक अपने हाथो में उठा रखु तो कोई परेशानी नहीं होगी। 1 घंटे तक उठाए रखु तो मेरा हाथ दुखने लगेगा। और पूरे 1 दिन उठाए रखु तो आपको मेरे लिए एंबुलेंस बुलानी पड़ जाएगी।
वजन तो वही रहेगा पर आप जितनी देर तक इसे उठा रखेगे उतना ही यह भारी होता जाएगा। इसीलिए कहना चाहिए कि ऐसी स्थिति में गिलास को नीचे रख देना चाहिए। थोड़ी देर आराम करें और फिर से उसे उठा लेना चाहिए।
इसी तरह हमें अपने दिमाग के बोझ को समय-समय पर उतार कर रख देना चाहिए। तरोताजा हो कर फिर से उठाना चाहिए। जब घर लौटे तो दफ्तर की चिंताओं को दफ्तर में छोड़ दो। उसे घर पर मत ले जाना।
Stress Management in Hindi
हर आदमी में अपने भीतर इतनी शक्ति होती है की वह अपने सपने साकार कर सके। मनुष्य एक बार अपने काम में लगन लगा दे तो वह अपने बाकी के प्रतिभाओं को अपने आप उसमें डालने लगेगा।
- समस्त दुखों में पहला और बुरा धोखा मनुष्य अपने आपको देता है।
- आपके जीवन की सबसे बड़ी गलती तो यह होगी कि आप कहीं गलती ना कर बैठे यही सोचकर आप भयभीत रहते हैं।
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आपने बहुत ही बढ़िया जानकारी दी है, आपका धन्यवाद.
Great post. I am dealing with a few of these issues as well..